विज्ञान
विज्ञान
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सुबह से शाम तक,
जन्म से मृत्यु तक।
जो देता है ज्ञान,
क्या, कैसे, क्यों हमें,
बताता हैं, अपना विज्ञान।
पहले हम पैदल चलते थे,
देर से होते थे काज।
लोह पथ गामिनी का समय था आया।
अब उड़ते हवाई जहाज।
हल,बख्खर से होती थी खेती,
मानसून की आस।
मोटर और पंप आने से,
बुझी धरती की प्यास।
नई-नई तकनीकी आई,
जीवन प्रत्याशा में हुआ सुधार।
नए -नए आयडिया आ रहे,
होते नए अविष्कार।
कम्प्यूटर के आने से,
दुनिया में परिवर्तन आया।
दुनिया एक सूत्र बँध गई,
नेटवर्क है छाया।।
घर बैठे अब चीजें मिलती,
मेवा और मिष्ठान।
सुख-दुःख अब साथ निभाता,
है अपना विज्ञान ।।
