विडंबना
विडंबना
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पीड़ाओं में होती है अद्भुत शक्ति,,
जो जोडती है -
एक मनुष्य को दूसरे से...
पर ये जुडाव रहता है तभी तक
जब तक दुःख का तरल बहता है
एक हृदय से दूसरे तक....
सुख और सफलताओं की दस्तक
कर देती है अवरुद्ध इस तरलता को
और फैल जाती है हृदय में
गुमान और स्वार्थ की दीमक...
जो चट कर जाती है
निस्वार्थ प्रेम को....!!!
