बावरा मन का अकुलाया पंक्षी
बावरा मन का अकुलाया पंक्षी
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बावरा मन का पंछी
उड़ता रहे मुक्त गगन,
मुक्त ही करना है...
उसको हर चिन्तन,
न कोई सीमा न बन्धन !
जीवन है बहुत कठिन
भरी हुई है विवशता ,
पग पग पर समझौता...
सोच की हर दिशा में,
लगे उलझन ही उलझन !
पा सकता है राह सही
जो कोई मन में ठान ले ,
मुक्त मन का मन से मेल...
समझ ले जीवन को खेल,
जीवन का करे अभिनन्दन !
©®V. Aaradhyaa