वादा सुरक्षा का
वादा सुरक्षा का
जिस क्षण तुमने प्रथम मेरे शरीर में किया प्रवेश
बस उसी क्षण से किया मैंने तुम्हारी रक्षा का ह्र्दयावेश
लड़ी काया से अपने क्योंकि सुरक्षित रखना था तुम्हें
नहीं खाया पीया अपने मनका क्योंकि स्वस्थ रखना था तुम्हें
नहीं सुध थी अपनी देह की मुझे क्योंकि जन्म देना था तुम्हें
यही से तो आरम्भ हुई रक्षा की तुम्हारे तन और मन की
किया तुम्हें मन से मन का मनोविशेष
बस चाहा यही ईश्वर से कभी ना लगे कोई खरोच तुम्हें
यदि देखे कोई कुदृष्टि से तुझे तो निपात कर दूं मैं उसे
सुरक्षित रक्षा का वादा था तुमसे वो वादा आजीवन निभाया मैंने।
सुरक्षित रक्षा का वादा था तुमसे वो वादा आजीवन प्रसन्नचित्त निभाया मैने ।।
