उम्मीदों का चाँद
उम्मीदों का चाँद
देखो आज फिर निकला उम्मीदों का चाँद,
निराशा के घने बादल को चीरकर ले आया,
मन में आशा का थोड़ा सा प्रकाश।
सब्र,संयम की इम्तिहान लेने को तैयार,
देखो आज फिर निकला उम्मीदों का चाँद।
बेसब्री से कर रहे थे जिसका इंतजार,
प्यार और मनुहार का करना था इज़हार,
जीने की वजह ढूंढ कर लाया जिसने,
बेवज़ह की जिंदगी में मकसद का कर इकरार,
देखो आज फिर निकला उम्मीदों का चाँद।
चाँद आया जैसे कोई खास है मेरा आया,
या फिर मेरे एहसास का सरमाया बन आया,
उसके आने से लगा इस दिल में
प्रेम की रोशनी है खूब जगमगाया।
देखो आज फिर निकला उम्मीदों का चाँद।
चाँद का निकलना अमावस का छँट जाना,
पूर्णिमा का आकर जीवन में बस जाना,
एक अनोखे एहसास को मन में जगाने,
दिल को दिल की है राह दिखलाने
देखो आज फिर निकला उम्मीदों का चाँद।
