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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Abstract

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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

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उल्लाला शतकवीर...

उल्लाला शतकवीर...

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1. गणेश जी को समर्पित

गणपति करिए मुझ पर दया,नित-नित करुॅं अभ्यर्थना ।

जीवन सुखमय अब कीजिए,पावन हो मम प्रार्थना ।।


2. माॅं शारदे को समर्पित

भामा हे विमला ज्ञान दो, सत मति दो हे मालिनी ।

जन-जन का अब कल्याण कर,वर दो हे मॉं शालिनी ।।


3. पावन मंच को समर्पित

अद्भुत-अनुपम यह मंच है, गढ़ते रचते हैं सभी ।

लेखन उल्लाला चल रहा ,चलिए लिखते हैं अभी ।।


4. गुरुवर को समर्पित नमन

गुरुवर मैं आपको,तुम ही हो मम ज्ञानदा ।

लोभ मोह को तजकर करो,निर्मल मुझको मानदा ।।


5. स्वयं को समर्पित

करता निजको अर्पण सदा,दिव्यमयी हो साधना ।

जग का दुख अरु तम दूर होअर्थमयी मम कामना।।


6. मानव

मानव जीवन अनमोल है,धरिए नव सद्भावना ।

शिव से उपजे जन हैं सभी,पशु से नर की संभावना ।।


7. बंधन

बंधन देता दुख ही सदा,माया रिश्तों का यहाॅं ।

नर तन जन्मे प्रभु सब सहे,होगा ऐसा जग कहॉं ।।


8. होली

होली पावन त्योहार है, हिल-मिल कर सब संग हो ।

सबको रंगे सम भाव से,ऐसा सुंदर रंग हो ।।


9. निर्मल

निर्मल कल-कल करती नदी,बहती निश्छल भाव से ।

कैसे सबको निज धारती,देखो तुम भी चाव से ।।


10. करुणा

करुणा सजती है कोख में,जननी पावन धारणा ।

ममता समता सी साधना ,अर्पित करती कर्मणा ।।



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