तूफ़ान
तूफ़ान
एक आलसी कौवा था ,
था बहुत-प्यासा एक दिन
भटक रहा था रेगिस्तान में यहां -वहां
तपती गर्मी में
रेतीले तूफ़ान में
कभी-कभी किस्मत भी इस रेतीले तूफ़ान की तरह होती है
जिस तूफ़ान में प्यासा ये कौवा फंसा था
कौवा उड़ता अपनी दिशा बदलता और
तूफ़ान उसका पीछा करता
वो मुड़ता -
तूफ़ान भी अपनी रेत लेकर उसी ओर घूम जाता
हर बार ,बार -बार कौवा जितनी बार तूफ़ान से भागता
ढींठ तूफ़ान अड़ियल सा उसके पीछे हो लेता
रात से सुबह होने को आई थी पर ज़िद्दी तूफ़ान
रात भर कौवे को यह तांडव नचाता रहा ,
संग उसके इठलाता
उसे अपने खौफ से थर्राता रहा ,
पूरी रात तूफ़ान से बचते -बचाते
आखिरकार कौवे को समझ आया की
ये रेतीला तूफ़ान कोई बाहरी विपदा नहीं बल्कि
उसके अंदर हमेशा से बसने वाली ताकत ,
उसका आत्मबल की ही तो शक्ल का है ये तूफ़ान
उसका मनोबल है
उसकी मन की हिम्मत भी तो एक तूफ़ान है
वो स्वयं एक तूफ़ान है जो अब उबलता उफान है
उसी शक्ति पर भरोसा रख कूद पड़ा वो
उसकी आँखों में आंखें डालकर भिड़ पड़ा तूफ़ान से
अपनी प्यास बुझाने ,मरूद्यान को ढूंढने
ना सूरज ,ना चांद , ना कोई दिशा का ज्ञान
न समय का ध्यान
थी तो सिर्फ सूखी सफ़ेद रेत
रेत जो शरीर की हर एक हड्डी को चकनाचूर बनाना चाहती थी
पर कदम -दर-कदम कौवा आगे बढ़ता रहा
विराट -भयंकर तूफ़ान ओर नज़दीक आता रहा
कौवे ने हवा में बुराई का दबाव महसूस किया
अपनी त्वचा पर बुराई का प्रभाव महसूस किया
तूफ़ान अजगर सा उसे निगल जाना चाहता
अभावों में एक और अभाव,
पर कौवा आगे बढ़ता रहा
और आखिरकार कौवे ने हिंसक तूफ़ान को हरा दिया
अपना मरूद्यान ढूंढ ही लिया
अब पानी का पूरा तालाब उसके सामने है
पर उसने ज़रा सा पानी पिया की
उसकी प्यास तो मेहनत में निकले पसीने से बुझ चुकी थी।
वो श्रम का असली मतलब समझ चुका था।
