तू मेरी कविताओं में
तू मेरी कविताओं में
मैं मेरी कविताओं सा सरल हो जाऊँ
तू फिर पढ़े और मैं समझ आ जाऊँ।
मेरा हर इक लफ्ज़ छू जाये तुझे
और मेरी कविताओं में तेरा अक्श नज़र आये तुझे।
मैं तुझे वर्णमाला समझ अपनी कविताओं में पिरोता रहूँ
तेरे नाम को मोतियोँ की माला समझ फिरोता रहूँ।
मै खुद की कलम हूँ और तू कलम की स्याही है
तुझ बिन मेरा चलना अब दो कदम भी क्या ही है।
मै आज हूँ सायद कल चला जाऊँ संसार से
पर मेरी कविताओं में तू रहेगी हमेशा प्यार से।
जो किया है वादा मुझ से उसे तुम निभा देना
अगर याद आऊँ मैं,अपने मन को मेरी कविता सुना देना।
मैं मेरी कविताओं सा सरल हो जाऊँ
तू फिर पढ़े और मैं समझ आ जाऊँ।