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तुम

तुम

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तुम्हारी याद

अक्सर घुमड़ आती है बादलों की तरह

और छा जाती है दिलो दिमाग पर

कभी बरस पड़ती है रिमझिम रिमझिम

और भिगो जाती है पलकें और मन

कभी मूसलाधार बारिश की तरह बरसकर

कर जाती है तर-ब-तर तन बदन

लोग तो छोड़ जाते हैं यूँ ही

छूट नहीं पाती यादें।


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