टूटा तारा
टूटा तारा
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आसमान के गुलिस्ताँ से तारा टूटा है,
हुश्न और इश्क का साथ आज छूटा है।
ज़ख्म खाया दिल ने रोता है ज़ार ज़ार,
छुओ ना ये मन मेरा दर्द का ही बूटा है।
बड़ा ही कमसिन था महल चाहत का ,
एक ज़ालिम ने बड़ी बेदर्दी से लूटा है।
नादाँ थे हम वो था लूटने का फ़नकार,
रंज क्या करें जब नसीब ही फूटा है।
प्यारी है अब दिल को मयखाने की गलियाँ,
ख़ाक़ में मिला है चैन साकी में घूंटा है।
