टप - टप जब ...(बाल कविता )
टप - टप जब ...(बाल कविता )
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टप - टप जब पानी की बूँदें,
पड़ती हैं अपने आँगन में।
रुक रुक तब यादें नानी की,
आती रहती उसके मन में।।
घोर अंधेरा उस पर से,
बादल का पहरा।
हम सब छिपे, डरे, सहमे,
मौसम था बहरा।।
झिमझिम झिम झिम, ताक धिना धिन,
मेघ गरज उठा सावन में।
धूम धड़ाक, तड़ाक, तड़ाका ,
बिजली कौंधे तन मन में।।
मेढक करते हैं टांय टांय ,
राजू पकड़े नानी की बांह।
मछली खुश ताल तलैया में ,
कोयल ढूँढे अब अपनी ठांह।।
