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Dhan Pati Singh Kushwaha

Others

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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टेलीफोन और मोबाइल

टेलीफोन और मोबाइल

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अभिव्यक्ति हो सरल सुगम,

हर इंसान की रही यही है चाह।

सुगमता में सतत् वृद्धि हित,

खोजी गयीं नई -नई सी राह।


हाव-भाव संकेतों के सहारे,

आए और गए विचार हमारे।

बंधन सीमाओं के टूटे हमारे,

ऐसे पथ सुविधा हेतु गए विचारे।


तरंगें ध्वनि की बदल विद्युत तरंगों में,

प्रकाश वेग से त्वरित ही पहुंच जाती है।

रिसीवर की मदद से ये पहुंची विद्युत तरंगें,

ध्वनि तरंगों में बदल अन्य छोर पर सुनी जाती है।


पर एक तार टेलीफोनिक संप्रेषण का था आधार ,

तार मुक्त बेतार मोबाइल का हुआ सपना साकार।

प्रेषक और ग्राही टावर सिग्नल देते -लेते हैं बिन तार,

लघु हो गई आज है दुनिया साइबर ग्राम रूप अब धार।


नव तकनीक से हुई है अति सुविधा पर आलस भी आया है,

कुछ क्षमताएं घट चुकीं हमारी कुछ पर खतरा अति छाया है।

ह्रास हो रहा तन-मन शक्ति का भौतिक धन लालच आता है,

स्वामित्व रहे तकनीकी पर इसे सेवक ही रख नर सुख पाता है।


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