तरु से अपनी सांस चले
तरु से अपनी सांस चले
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निज तरु से हम जीवन पाते
तरु से अपनी सांस चले ।
पुष्प बाग में मंद मंद,
खुशबू की मधुर बयार चले ।।
तरु से हमको, फल फूल मिले
पथिक को शीतल छांव मिले ।
पंछी का फिर बने घोंसला
खग के मन में उल्लास जगे ।।
तरु ना रहे जो अगर धरा पर
जीवन दुर्गम हो जायेगा ।
ये अमूल्य निधि है प्रकृति की
जीवन अब तरु ही बचाएगा ।।