तृतीय दिवस चंद्रघटे माँ🙏
तृतीय दिवस चंद्रघटे माँ🙏
हे दुर्गे सुन ले मुझ भक्त की पुकार,
माता मैंने तुझको ही अपना माना।
हे चंद्रघटे माँ अम्बे कर उपकार,
अब के हमारे घर तू आना ।।
माता तुम इस नवरात्रि,
सिंह पर आरूढ़ होकर आओ ।
कर के सोलह श्रृंगार,
अपने दिव्य रूप के दर्शन कराओ।।
वंदन है जगदम्बे मैया ,
मुझे दरस तेरा है पाना ।
अम्बे कर मुझ पर उपकार,
अबके हमारे घर तू आना ।।
पूजें नौ दिन नौ रूप तेरा ,
भवानी मेरी माँ शेरावाली ।
चंडी-दुर्गा का रूप भी तू ही ,
तू ही कपालिनी तू ही काली ।।
तेरी महिमा अपरंपार,
मेरी जिंदगी में सुख बरसाना ।
अम्बे कर मुझ पर उपकार,
अबके हमारे घर तू आना ।।
सजा रखा दरबार मैया ,
लगा रहे सब तेरी जयकारा ।
एक तुझसे ही है मातु,
यह जगमग संसार हमारा ।।
नित्य करूँ ध्यान और सिमरन ,
मुझे अपने हृदय से सदा लगाना ।
अम्बे कर मुझ पर उपकार,
अबके हमारे घर तू आना ।।