थक गया हूँ
थक गया हूँ
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थक गया हूँ
जीवन पथ पर
चलते चलते,
सफर वही है
पर बदल गए हैं हमसफ़र,
जाना पहचाना रास्ता है
चलने की ताकत
खत्म हो गयी है,
कभी कभी भटक जाता हूँ
कहीं भूल जाता हूं कुछ निशान,
जो करते मदद चलने को
जो चाहा हमने जिंदगी से,
वो कभी मिला नहीं
बस एक हसरत सी रही
उम्मीदों का मटका कभी भरा नहीं,
अदद जरूरतें न हो पाई पूरी
छूट गए सारे जीने के फलसफे,
खो गए जो पाने थे नफ़े
बस ख्वाइश है जिंदगी से,
बस ये लंबा सफर कट
जाए थोड़ा आसान से
दुआ है ये ही रब से
जदोजहद में अपना
कायम रहे वजूद।