तेरा बचपन मेरे बचपन जैसा
तेरा बचपन मेरे बचपन जैसा
बचपन में बनती थी मैं जिस गुड्डे की मम्मा, वो होता था एक खिलौना।
तूने हकीक़त में आकर पूरा कर दिया, मेरा वो सपना सलोना।।
अपनी मम्मी से जो सुन रखें थे, अपने बचपन के किस्से।
आज वो मेरे सामने हैं, बनकर तेरे बचपन के हिस्से।।
कहती थी वो, उनके खाने के वक्त मैं करती थी पोटी,और थी रातों को जगाती।
उनको चुप कर देती थी मैं, ऐसा नहीं होता होगा आप तो कुछ भी हो कहती।।
तूझे आज वही करता देख, मांगती हूं माफ़ी उनसे कहकर आपने मेरे लिए कितना सहा था।
मुझे गले लगाकर तब वो मज़े लेती हैं मेरे, देखा मैंने तो पहले ही कहा था।।
जितना गुस्सा मुझे आता है, उतना ही खुश होती है नानी देखकर तेरी बदमाशी।
तेरी मम्मी भी ऐसा ही करती थी, यह कहकर मेरी मम्मी देती है तुझे शाबाशी।।
नानी तेरी करती अजीब जिद्दी, कहती हैं तूझे हवा में उछाल सुनाऊं उन्हें तेरी किलकारी।
तेरी किलकारी और नानी की मुस्कान, इन दोनों पर जाऊँ मैं बलिहारी।
जब तू बड़ा होकर पूछेगा, मम्मा मेरा बचपन कैसा था।
तब मैं गर्वित होकर बताऊंगी, बच्चा तेरा बचपन मेरे बचपन जैसा था।।
