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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Others

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

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" स्वर्णिम भारत "

" स्वर्णिम भारत "

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रक्त का प्रवाह

तीव्रता से चल पड़ा

ह्रदय जोर जोर से

धड़कने लगा ,

बच्चे बिलखने लगे ,

युवाओं में जोश

उबलने लगा ,

वरिष्ठों ने भी अपना

सीना तान दिया ,

माता बहनों ने भी साथ दिया !!


कब तक बाँटेंगे

अपनी धरती को ?

जब हम में है

बस एक खून

है एक भूख

है एक प्यास ,

क्यों मानवता है

त्रस्त यहाँ ?

है भीड़ तंत्र का

रोग यहाँ ?


बलात्कारी जश्न

मानते हैं ,

बहु बेटिओं को सदा

तड़पाते हैं ,

रक्षक भक्षक बन रहे आज ,

खाकी वर्दी की भी ,

अब ना रही लाज !!


झूठे वादों से

तंग हुए ,

सपने तो अब

सपने ही रहे ,

अब हम सबको

कुछ करना है !

घृणित इतिहासों

के पन्नों को

कूड़ेदानों में रखना है !!


हमें रामराज्य के

सपनों का एक

भव्य इमारत

गढ़ना है !

जहाँ छल ना हो

जहाँ सब जिएं

ऐसे भारत का सपना है !!




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