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स्वर्ग

स्वर्ग

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ज़िन्दगी में चलते - चलते ,

जब कभी ... कहीं ,

ठहरने का मन करे ,

समझो ... वहीं स्वर्ग है |


हम ठहरे कुछ पल ,

दो घड़ी विश्राम किया ,

इस पृथ्वी पर आने का मकसद ,

दिल ही दिल तब याद किया |


चलना हमारी फितरत थी ,

कुछ कर गुजरने की चाह ,

ठहर हम बहुत कुछ सीख गए ,

पाकर अपनी एक राह |


इस स्वर्ग - नरक के झमेले में ,

अक्सर इंसान नहीं ढूंढ पाता ,

एक पड़ाव ... जहाँ वो ठहरेगा ,

और खींचेगा लम्बी एक साँस |


इसलिये जब कभी चलते -चलते ,

तुम ठहरो .... और विश्राम करो ,

तब नाम प्रभु का लेकर ... कर जोड़ ,

अपने " स्वर्ग " की पहचान करो ||


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