स्वागत
स्वागत
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तुम ,
हां !आखिर तुम कौन हो ?
तुम्हारा क्या अस्तित्व है ?
ये , मैं नहीं जानता हूं
क्या कहा ?
तुम निहायत शरीफ इंसान हो ,
बिल्कुल कोरे कागज की तरह
हां ! सच ही कहा तुमने
लेकिन तुम्हारे इस कोरे कागज पर
क्यों गालियां लिखी है ?
क्यों असम्मान लिखा है ?
दूसरों का .....
न मिटने वाली स्याही से
हां ! तुम उसे मिटा सकते हो ।
और लिख सकते हो ।
"अच्छाइयों का स्वागत"
