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Bherusingh Chouhan

Others

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Bherusingh Chouhan

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स्वागत

स्वागत

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तुम ,

हां !आखिर तुम कौन हो ?

तुम्हारा क्या अस्तित्व है ?

ये , मैं नहीं जानता हूं 

क्या कहा ?

तुम निहायत शरीफ इंसान हो ,

बिल्कुल कोरे कागज की तरह

हां ! सच ही कहा तुमने 

लेकिन तुम्हारे इस कोरे कागज पर

क्यों गालियां लिखी है ? 

क्यों असम्मान लिखा है ? 

दूसरों का .....

न मिटने वाली स्याही से 

हां ! तुम उसे मिटा सकते हो ।

और लिख सकते हो ।

"अच्छाइयों का स्वागत" 



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