।।सूरज।।
।।सूरज।।
दूर तिमिर को करने को सूरज आया।
कितनी सुंदर सुबह सुहानी ये है लाया।
आओ स्वागत करें हम इसका मिलकर।
रोज उजाला देता है ये दूर तिमिर कर।
भोर सुबह जब उगता सूरज आता है।
आसमान में सुंदर सी लाली लाता है।
पंख, पखेरू, जीव सब जग जाते हैं।
बैठ पेड़ की डाली पर चहचहाते हैं।
खूब महकती पवन सुबह ये लेे आता है।
सबके चेहरों पर प्यारी मुस्कान खिलाता है।
मुस्काती हुई प्यारी कलियाॅ॑ खिल जाती हैं।
आ कर तितली फूलों से हिलमिल जाती हैं।
इठलाते हैं फूल देख किरणें सूरज की।
आ जाते हैं चाह में भौंरे फूलों के रज की।
शबनम की बूॅ॑दों पर किरणें जब पड़ती हैं।
रंग बिरंगे मोती के जैसे सुंदर दिखती हैं।
सर्द रात के बाद सवेरा जब आता है।
सुबह आ कर सूरज सर्दी दूर भगाता है।
बरसात में बादलों संग लुका छिपी करता है।
गर्मी में ये सब की काया झुलसा जाता है।
