सत्य शाश्वत है !
सत्य शाश्वत है !
जो है शाश्वत ...हमेशा ही रहता है
जो कभी बदलता नहीं है अपना रूप
जैसे सूर्य तारे जमीन आसमान ...
सभी प्रकृति प्रदत्त संसाधन वन उपवन ..
ये पर्यावरण व धरा का सृजन ...
जो हमेशा था ...हमेशा है ...हमेशा ही रहेगा
जो हर काल में रहता है नित नवीनतम रूप में
वही है सत्य वही है सुंदर वही है शाश्वत ...
जो है अति पावन कि मानो गंगा जल जैसा !
जो है अति विनम्र कि मानो वृक्षों के फल जैसा !
जो है अति ऊष्मावान कि ....
मानो सूर्य किरणों के दल सा .....
जो है अति बलशाली कि मानो हिमालय पर्वत अचल सा !
जो है अति करुणा से पूरित कि मानो सागर के तल जैसा .
जो है अति सौंदर्य से पूर्ण कि मानो सरोवर में ....
खिलते सुंदर कमल जैसा ...
जो है अति सुरीला कि मानो वन में ...
गूँजता स्वर कोकिल सा ..और विहगों के दल सा !
जो है अति श्वेत कि मानो हिम के अंचल सा...
सत्य वह तथ्य है जो एक पल में कहाँ मिल पाता है ?
पर आत्म तत्व की साधना हो अटल तो ये ही मार्ग ...
दिखाता है ...
युगों युगों से इस सत्य को महान लोगों ने अपने आचरण
में अपनाया ...
और हमें जीवन जीने का सही मार्ग दिखाया ....
कहा कि सत्य वह है जो आचरण में दिखता है ..
अच्छे कर्म में अच्छे व्यवहार में ही झलकता है ...
क्योंकि सत्य है शाश्वत वह एक सा ही रहता है !!