सतत् पोषणीय विकास
सतत् पोषणीय विकास
आजादी और सुख सुविधाएं
होती हैं हर एक की आस,
हर एक को ये मिलें अनवरत
ऐसा ही रहे सबका प्रयास।
जरूरतें होवें सबकी ही पूरी
सब समस्याएं हो जाएं हल।
सुखमय भी हो आज हमारा
और आगामी पीढ़ी का कल।
नवीकरणीय व अनवीकरणीय
संसाधन तो होते हैं अपने पास।
पहले वालों को प्रयोग में लाकर
बचत करनी है दूजे की खास।
पहले वाले फिर से नये बनने में
समय न लगता इसमें कुछ खास।
लाखों वर्ष लगेंगे दूजे तो बनने में
अति प्रयोग से जो कर दिया विनाश।
वर्तमान और भावी पीढ़ी रहे सुखमय
नव तकनीक संग होवे सतत् विकास।
ऐसी शुभ अवधारणा ही कही जाती है
आज है जरूरी 'सतत् पोषणीय विकास'।
