" सफ़र जिंदगी का "
" सफ़र जिंदगी का "
जिंदगी एक सफ़र है
इस सफ़र में न जाने
कितनें ही लोग मिलते हैं
और कितनें ही बिछड़ जाते हैं
पर यह सफ़र का कारवां
हमेशा चलता रहता है
जिंदगी के इस छोटे से सफ़र में
नए-नए तजुर्बे मिलते हैं
कभी परेशानियों की रात होती
कभी ख़ुशियों का सवेरा होता है
पॉंव हम अपने बढ़ातें जाते
चाहे कितना भी अंधेरा होता है
हम मुसाफिर बन चलतें रहते
कभी हमसफर बन जातें हैं
कभी खुद तन्हा हो जातें
कभी है साथ चलता कारवां
कभी ठोकरें गिराती है
कभी राहें आजमाती है
कभी दुनिया रोड़े अटकाती है
तकलीफें हमारी बढ़ाती है
हम कदम बढ़ाते जाते हैं&
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एक दिन मंज़िल को पा जाते हैं
कभी दुनियादारी में अटक जाते हैं
कभी मोह माया में फॅंस जातें
कभी सबको खुश करने में
खुद निराश हो जाते हैं
कभी जीवन भर की
पूंजी यूं ही गँवा देते
कभी अपनी भूल पर
जिंदगी भर पछताते रह जाते हैं
कभी सपने सजाते रहते
कभी गलियों में भटकते हैं
जिंदगी के सफर में ना जाने़
कहां तक बहते चले जाते हैं
सभी अपनी रफ्तार से
मंज़िल पर पहुंचना चाहते हैं
कुछ अधिक पाने की लालसा में
अपनों से दूर निकल जाते हैं
मौत तक चलता रहता है
इस जिंदगी का सफर
अंत में इस सफर को
अलविदा कह जाते हैं