सफलता की चाबी
सफलता की चाबी
नानी हमेशा एक कहानी सुनाया करती थी,
धुंदली सी पर आज भी उसकी यादें ताज़ा थी,
कहानी थी कौए और एक किसान की,
जिसमे कौए को सफलता आसानी से पानी थी।
एक दिन कौआ जंगल में बैठा कुछ सोच रहा था,
तभी उसे वहा एक किसान दिखा,
कंधे पर टंगा एक बस्ता था,
कौए ने उस किसान से पूछ लिया इसमें क्या है रखा।
किसान ने बताया की इस बास्ते में कीड़े है,
कुछ पंखो के बदले इसका व्यापार करूँगा,
कौए ने कहा चाहे तो मेरे पंख लेलो,
बदले में मैं ये कीड़े मै रखलूँगा ।
किसान ने कीड़े दिए और बदले मै कुछ पंख ले लिए,
कौए भी खुश की बिना मेहनत उसने कीड़े पा लिए।
ये सिलसिला चलता रहा,
कीड़ों के बदले पंखों का व्यापार होता रहा,
दुर्घटना कुछ अब घटने वाली थी,
कौए की अब शामत आने वाली थी ।
अब वो क्या करता,
कीड़ो के बदले उसके पास देने को पंख कहाँ,
बिना पंखो के वो अब कहाँ उड़ सकता,
उसने देह त्याग दिया वहाँ ।
परिश्रम ही सफलता की चाबी है,
ये बात आज तक मैंने नानी की मानी है।