" सोये हुए दोस्त "
" सोये हुए दोस्त "
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किसे अपना सुनाऊं ,
बहुत तो सोये हुए हैं !
महफिलों में आ गये,
पर निःशब्द हो गए हैं !!
आँखें तो बंद हो गयीं ,
दर्शक नहीं बन सके !
हाथ जेब में डालकर ,
तालियाँ ना बजा सके !!
कला को भी ना देखा ,
ना उनको जान पाया !
किसने अपनी छाप से ,
रंगमंच में जान लाया !!
हम तो सोते रह गए ,
उठ के सब जाने लगे !
सबने खूब तारीफ की ,
हम हाथ मलते रह गये !!