संयम
संयम
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संयम मनुष्य का आभूषण है।
संयमी को कुछ भी अलभ्य नहीं।
मानव को महामानव बनाता है।
जीवन को फूल सा महकाता है।
जिसने भावनाओं में संयम खोया।
हुआ बर्बाद खाया धोखा और रोया।
संयम से जीवन पथ पर जो चला,
सुख हो या दुख विचलित न हुआ।
मन तन की इच्छाएं वासनाएं सब,
संयमित जीवन जीकर संसार में।
गौतम महावीर जितेन्द्रिय हो गये,
संयम को जीवन मे उतार कर ।
आज इस माहवारी के माहौल में,
संयम से रहने वाला ही स्वस्थ होगा।
असंयमित किया व्यवहार जिसने,
उसका तन धन जीवन बर्बाद होगा।
