स्मृतियां
स्मृतियां
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तेरी यादों के फूल
दिन की हलचल में
व्यस्तता की धूप में
कुम्हला जाते है।
लेकिन
रात्रि के नीरव क्षणों में
बादलों की तरह
मेरे ख्यालों में छा जाते है
दुश्मन सी यादें
बेचैन कर जाती है
उनसे डरती हूँ
दूर भागती हूँ
लेकिन सच्चाई यह है कि
यादें ही
मुझे दोस्त की तरह
सुलाती है
तुम्हे
बुलाती है
तुझसे मिलाती है।