Surendra kumar singh
Others
हमारे हाथ
प्रकृति मनुष्य की
सभ्यता को
एक बहुरंगी
जीवन समर्पित करती है
इसका स्वागत करें
इसे प्रेम दें
चलो
सुबह है
चेहरे पर मुस्...
स्पर्श
मन का आकाश
तुम्हारी आगोश...
जो भी है
हवा में
कविता
शांति