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Ratna Kaul Bhardwaj

Others

5.0  

Ratna Kaul Bhardwaj

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समाज में अफरा तफरी क्यों !

समाज में अफरा तफरी क्यों !

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न जाने क्यों समाज में इतनी अफरा - तफरी फैली हुई है 

ऐसे कौन से बीज उपजे हैं, क्यों इंसानी सोच मैली हुई है ।


ए जीव तू तो बस दो जून रोटी का मोहताज है,  

विषैले बीज बोकर क्यों धरती अब मटमैली हुई है।


इर्षा, द्वेष, अंधकार, क्यों प्रचार इसका हो रहा है 

हर नुक्कड़ पर कैसे , इनकी दुकानें खुली हुई है ।


कर्तव्य कहीं लुफ्त हो चुका है , अब शापित है समाज 

धीरज अंधकार में छुप गया है, विकृत सोच फैली हुई है।


हर तरफ है आंदोलन , हर तरफ फैला है भृष्टाचार

समाज की किरकिरी हुई है , दरिंदगी ऐसी फैली हुई है।


राजनीति, अर्थनीति , कुछ अलग दौर से गुज़र रही है 

इंसान आक्रामक हो चुका है, सरकार ने चुपी साधी हुई है।


कब बदलेगा मानव , कब मानवता वापिस लौटेगी 

आखिर क्यों सामाजिक संस्थाएं भी कठपुतलियां बनी हुई है।


नकारात्मक विचारधारा ने आँखों पर परदे डालें हैं

सकारात्मक कुछ हवा चले,धरती माँ आँचल फैलाये खड़ी हुई है।


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