सखी-सहेली
सखी-सहेली
1 min
357
एक गांव में दो बिटियाँ थी।
पक्की सखी-सहेली थी।
रहती संग दो पुष्प कली सी
खिली-खिली सी रहती थी।
हँसी ठिठौली खूब करे
सबके अंतर्मन को भाती थी।
साथ में खाना, विद्यालय जाना
संग-संग झूला भी झूला करती थी।
गाँवों की गलियों में
तितली सी उड़ती फिरती थी।
थोड़ी नटखट पर सरल हृदय थी।
वो पक्की सखी सहेली थी।