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Swapnil Jain

Children Stories

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Swapnil Jain

Children Stories

सखी-सहेली

सखी-सहेली

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एक गांव में दो बिटियाँ थी।

पक्की सखी-सहेली थी।


रहती संग दो पुष्प कली सी

खिली-खिली सी रहती थी।


हँसी ठिठौली खूब करे

सबके अंतर्मन को भाती थी।


साथ में खाना, विद्यालय जाना

संग-संग झूला भी झूला करती थी।


गाँवों की गलियों में

तितली सी उड़ती फिरती थी।


थोड़ी नटखट पर सरल हृदय थी।

वो पक्की सखी सहेली थी।


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