सजा
सजा
सजा भुगतते एक अपराधी से
पत्रकार ने पूछा बड़े जतन से
तुमने क्या अपराध किया है
किसका दंड तुमको मिला है
सुन कर उस से यह सवाल
मचा दिया उसने बड़ा बवाल
क्या करोगे यह जानकर
मुझसे न यह सवाल कर
क्या सजा मेरी और तुम बढ़वाओगे
क्या उद्देश्य है तुम्हारा यह बताओगे
पत्रकार कुछ घबराया
थोड़ा फिर सकपकाया
बोला फिर वो शांत भाव से
खाना खाओ पहले चाव से
दिमाग तुम्हारा जब शांत होगा
तब कुछ आगे वार्तालाप होगा
क्रोध से नहीं बनते कुछ काम
जीना हो जाएगा तुम्हारा हराम
तुम पर डॉक्यूमेंट्री मैं बनाऊंगा
तुम्हारी कहानी सबको बताऊंगा
वो अपराधी अब रोने लगा
कानून व्यवस्था को कोसने लगा
कहता आजादी का मतलब क्या
जब कह नहीं सकते किसी को यहां
कहने पर ही यहां सजा मिलती है
मेरी नहीं कोई सरा सर गलती है
नेता को गधा मैंने बोल दिया
गधा भी सुनकर तब रूठ गया
खड़ा हुआ था वो भी वहीं पर
चला आया वो मैं था जहां पर
दुलत्ती चलाई उसने ऐसी
करने मेरी तब ऐसी तैसी
जैसे तैसे खुद को बचाया
नेता जी को ढाल बनाया
दुलत्ती पड़ गई नेता जी को
कोसने लगे वो ऐसे मुझको
गालियों की बौछार कर दी
डंडों की भी बरसात कर दी
कानून ने भी तरस न खाया
सजा का मुझे हकदार पाया
तब से यहीं मैं सड़ रहा हूं
जिंदगी से अपनी लड़ रहा हूं
फिल्म मेरी अब जरूर बनाना
बनाकर मुझको भी दिखाना।
