सिर झुका कर करूं नमन
सिर झुका कर करूं नमन
सिर झुकाकर उन्हें नमन करूं नैनों में भरकर पानी,
देश भूमि पर जो भेंट कर गए अपनी जिंदगानी।
प्रीत का ही दिन था जब हर ली गई जब परिवार की ही प्रीत,
झंडे में जब लिपटा आया उनका वीर सपूत।
आतंक की बलि चढ़ी जो हंसते-हंसते वीर,
क्या मोल चुका पाओगे उनका यह प्रश्न बड़े गंभीर।
परिजनों को देकर जीवन भर का त्रास,
भेट मातृभूमि को कर गए अपने वर्ष दिवस व मास।
वह वीर सपूत शहीद होकर बन गए चमन के फूल,
ना झुकने देंगे तिरंगा शहादत को उनकी भूल।
आतंक पर रही भारी उनके प्राण न्योछावर की तैयारी,
सजग रहे आतंकी वरना चुकाना पड़ेगा मोल भारी।
एक पुष्प अर्पण मेरा भी याद कर उनकी शहादत,
उगा कर बीज देशभक्ति का देश प्रेम बने अब सब की आदत।
