सिलसिला
सिलसिला
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जिंदगी है चाहतों का सिलसिला
पर जो चाहा सब किसको मिला
पर हर बार रखें भला क्यों गिला
स्वीकार करें मन से जो भी मिला
शिकायतों को बढ़ा कर कुछ न मिला
देखो कभी उन्हें भी जो कम में बहुत खुश हैं
परिस्थितियों को हावी न होने देने उनके पास हुनर है
बस सीख लोगे इस कला को तुम भी जिस दिन
अंधा क्या चाहे दो आंखें कहावत पूरी होगी उस दिन
ये एक्सपेरिमेंट को मान लेगा जब हमारा दिल।