STORYMIRROR

राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Others

4  

राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Others

श्वेतवसना इस जगत को नेह दो

श्वेतवसना इस जगत को नेह दो

1 min
627

मार्ग सुचिता का बहुत दुश्वार है ।

किन्तु यह ही मुक्ति का आधार है ।।


प्रेम, करुणा, सत्य का पथ जोह तू ;

लोभ लिप्सा हित भ्रमण बेकार है ।


जो मिला जैसा मिला स्वीकार कर ;

सब विधाता का दिया उपहार है ।


राम कर सकते नहीं अब वनगमन ; 

इस अजब युग का गजब व्यवहार है ।


कर्म ही है धर्म मानव का, यहीं ;

बाइबिल कुरआन गीता सार है ।


श्वेतवसना इस जगत को नेह दो ;

जग बहुत व्याकुल व्यथित बीमार है ।



Rate this content
Log in