श्रद्धांजलि
श्रद्धांजलि
तन पे लंगोटी ,चश्मा और लाठी
था प्रिय जिन्हें चरखा और खादी
सत्य- अहिंसा के थे जो अनुगामी
नियम - संयम के थे वो कद्रदानी।
स्वदेशी अपनाओ की लहर चलाई
फिरंगी सेना की पल में नींद उड़ाई
समय पाबंदी की थी बात समझाई
स्वच्छता की उपयोगिता भी दर्शायी।
निज भार कार्य का न दूजे पर डालो
तुच्छ वस्तु की उपयोगिता भी जानो
बुरा देखो, सुनो और नहीं तुम बोलो
सत्य पथ से यों मुख नहीं तुम मोड़ो।
अंग्रेजी प्रशासन की नींव हिला दी
रह अडिग उन्हें धूल चटा दी
मानवता थी जिनकी परिपाटी
आज ॠणी तुम्हारा, हर भारतवासी।