शिव-महिमा
शिव-महिमा
हे पंचानन ! हे गिरिजामनरमणा !
हे गंगाधर ! आपकी माया अपरंपार !
आप से ही सृष्टि-विनाश, आप से ही स्थिति ;
आप में ही समा जाए सारी धरती, सारा आकाश ...
हे रुद्र ! हे गंगाजटाधर !
हे रजनीशकलाधराय ! इस जग से
दूर करें दारिद्र्य-दुःख-क्लेश-विषाद ...
हे पन्नगभूषण ! हे शूलधर !
हे चन्द्रकलाधर ! आपकी भक्ति में
लीन हर कोई...
इस जग का आप ही सृष्टिकर्ता, आप ही विघ्नविनाशक ...
आप से ही बना इस जग की संरचना ।
हे नीलकंठ ! हे शूलधारी ! हे चन्द्रशेखर !
आप ने तो विष पीकर
रक्षा की इस जग की मानव जीवन की...
हे शिवराज ! हे नटराज ! हे शंभूनाथ !
आपकी कृपा अगर बनी रहे
हम सब प्राणियों पर,
कोई भी हानि हो न पाए
इस जग में किसी की ।
चलो, हम करें आरती प्रभु भोलेश्वर की...
बन जाए हर बिगड़ा काम
इस घर-संसार की ...!
सब मिलकर बोलो : "नमः शिवाय ! हर ओम् नम: शिवाय!"
