शिव आराधना-शिवरात्रि
शिव आराधना-शिवरात्रि
मेरा शिव भोला भण्डारी
कैलाशवासी, बसम्दारी
है नंदी उनकी सवारी
चले थे आज पार्वती को बिहाने
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय
सज रहा था चंदा जटाओं में
बह रही थी गंगा कल-कल केशों से
शेर की खाल कमर पर थे ओढे
त्रिशूलधारी झूम रहे थे गले में नाग लिए
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय
सारे भूत बने थे बाराती
भैरवों की टोली उनके साथी
मद मस्त थी यह सारी सृष्टि
झूम-झूम चले जा रहे थे सब भांग पिए
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय
पार्वती ने थे बड़े तप किये
शिव शंकर को पाने के लिए
खड़ी थी द्वार पर माला लिए
नीलकंठ मंद-मंद मुस्कुराये जा रहे थे
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय
अद्धभुत, अनमोल था वह नज़ारा
देखा देवों ने भी दृश्य वह प्यारा
स्वर्ग लोक से हुई थी फूलों की वर्षा
सब के मन थे प्रफुलित,पुल्कित, हर्षाए
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय
परम पुज्य यह दिन शिवरात्रि
है शिव-शक्ति के मिलन की
धन्य हुई थी कैलाश की चोटी
चल रहे थे जटाधर पार्वती को संग लिए
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय
आज का दिन परम त्योहार
करे सभी शिव-शक्ति को गुहार
मन से जाने परम भक्ति का सार
मिलकर करें प्रार्थना सारे जग के लिए
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय
हे शंकरा सुन हमारी आराधना
पाप शाप हर ले हे शक्ति माता
तुम पालनहार, तुम ही मात-पिता
मिटा द्वेष मन के अब मानवता के लिए
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय.