शब्दों में मेरे कोई विकार
शब्दों में मेरे कोई विकार
शब्दों में कोई विकार लगे मेरे तो खुल के कह देना
कभी शब्द हो जाये गर जो मेरे बे अर्थ मुझे अर्थों में तुम ला देना!!
उठते है ये हाथ जब भी लिखने को मेरे कभी भूल भी कर देते है,
उन भूलो का तुम मज़ाक मत बनाना
हो सके तो तुम सुधार का जरिया मुझे बताना!!
कौन हो तुम मैं नहीं जानती ना ही पहचानती
मगर तुम मेरी रचना को पढ़कर
अपने जवाब से अपनी पहचान बताना!!
तुम आम से ही हो मगर अपने जवाब से खास भी बन सकते
मगर ये मेरे ऊपर भी है कि मैं ऐसा लिखूँ जिससे तुम खास बन सको!!
शब्दों में कोई विकार लगे मेरे तो खुल के कह देना
तुम कोई नहीं हो मगर सब कुछ बन जाते हो
जब मुझे सर आँखों पे बैठाते हो, गलती में जब प्यार से समझाते हो
दिल खुश कर जाते हो, तुम दर्शक हो मैं स्क्रीन पे लगी कोई पिक्चर हूँ
बस तीन घण्टे में ये शो नहीं खत्म होने वाला
लेकिन निरंतर चलने वाली एक रचनाकार की
एक अलग सी चलती फिरती ये दुनिया है !!
शब्दों में कोई विकार लगे मेरे तो…..........
