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Sunita Katyal

Others

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Sunita Katyal

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शब्द मुझे लिखते है

शब्द मुझे लिखते है

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कभी मैं शब्दों को ढूंढ ढूंढ

इक माला में पिरोती थी

कुछ कुछ लिखने की

मेरी कोशिश होती थी

अब शब्द मुझे लिखते हैं

मेरे अंतर्मन की गाथा को

कभी किसी अहसास को

कभी किसी खुशी ख़ास को

कभी किसी उलझन को

कभी दिल में बजती

किसी प्रिय धुन को

कभी किसी से रूठने को

कभी किसी से मनुहार को

कभी किसी से अपेक्षा को

कभी मिली उपेक्षा को

ये शब्द मेरे भावों को

जो मुझको छूकर जाते है

मुझसे ज्यादा ये शब्द

उन्हें समझ पाते हैं

अब मैं शब्दों को नहीं लिखती

अब शब्द मुझे लिखते है

अब शब्द मुझे लिखते हैं




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