शौक पालीए, जिंदगी सुधारीए
शौक पालीए, जिंदगी सुधारीए
आज विद्यार्थी बहुत व्यस्त,
चाटता किताबें हर वक्त,
इतना अधिक है पाठ्यक्रम,
नहीं फुरसत करने की कुछ और।
टीचर भी दौड़ा दौड़ा पढ़ाता,
हर विद्यार्थी पे अधिक ध्यान नहीं दे पाता,
उसको पाठ्यक्रम करना होता खत्म,
नहीं तो पुरा नहीं हो पाता।
इसी व्यस्तता के कारण,
विद्यार्थी तनाव में रहता,
और अपने शौक भी पुरे नहीं कर पाता।
अगर पाठ्यक्रम हो छोटा,
तो विद्यार्थी को पढ़ना पड़ेगा कम,
और जो समय बचेगा,
वो लगाएगा कहीं और,
शौक पुरे करेगा जरूर।
कोई खेलेगा, कोई लिखेगा,
कोई पेंटिंग करेगा,
कोई भाषण प्रतियोगिता में भाग लेगा,
कोई नाटक करेगा,
कोई सैर-सपाटा करेगा,
कोई फिल्म देखेगा,
कोई गाएगा,
जिससे वो रहेगा तनाव मुक्त,
और होगा विवीध कलाओं में निपुण,
भविष्य में ये आएंगी,
उसके काम।