शौक कविता का
शौक कविता का
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मैं ,
कविता लिखने चला
लेखनी ने अपना ,
कमाल दिखाया
मस्तिष्क में कुछ नवीन ,
विचार भी आया।
मैं ,
लगा नोट करने ,
यों पूर्ण हुई रचना
पर,सम्पादक के पास जाते ही ,
चूर हुआ सपना।
मैंने ,
तबसे ही कविता ,
छोड़ दिया लिखना
इस तरह से दिल में ,
धरा रह गया सपना।