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Vijay Kumar parashar "साखी"

Others

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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सब परेशान करते है

सब परेशान करते है

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सब लोग हमको परेशान करते है

जीना हम बच्चों का हराम करते है

10 वीं क्लास में हम क्या आये?

टेस्ट ले-लेकर जिंदगी खराब करते है


अब भला हम बच्चे किधर जाये

हमें रात को ढंग से नींद न आये

सब टीचर फोन सुबह-शाम करते है

सब लोग हमको परेशान करते है


ए कोरोना भाई तू क्यों चला गया?

तुझे याद हम आठोयाम करते है

अब आ गई गर्मी, चली गई सर्दी

आलस-उबासी दिमाग जाम करते है


सब लोग हमको परेशान करते है

पर अब साखी ने सोच लिया है

खुद को शूलों में तोल लिया है

मरना ही है तो घुट-घुट कर क्यों?


अब हम जान को हथेली पे रखेंगे

मेहनत से अपना भाग्य खुद लिखेंगे

फिर जब आयेगा मेरिट में नाम मेरा, तब

सब गांव वासी झुककर प्रणाम करते है



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