सावन गीत
सावन गीत
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सावन में बरसे ला फुहार ए सखी
मनवा झूमे हमार ए सखी
पनिया जामल खेतवा हमार
होखे लागल धनवां के रोपनी
पांकी डूबी डूबी गाई मल्हार ए सखी।
सावन में बरसे ला फुहार ए सखी।
मोरवा नाचे संगे संगे देख ए सखी
दिनवां त बीतल रोपनी में हमार
सांझ के पाकी पकवान खइह ए सखी।
सावन में बरसे ला फुहार ए सखी।
दिन बीतल ह चार देख,
झूमे धनवां के बिचरा मथवा उठाय ए सखी
लागे खेतवा में बिछल बा
हरिहर चादर
मखमली चादर तनाय झूमए सखी
तनिके दिनवां में फूटिहें बाली
झूमि-झूमि बाली, गईहें मल्हार ए सखी।
सावन में बरसे ला फुहार ए सखी।