साक्षरता का दीप
साक्षरता का दीप
ज्ञानदीप की बाती साक्षरता का आलोक फैलाये,
घर-घर विद्या मंदिर बना अज्ञानता का तिमिर दूर भगाये,
शिक्षा की क्रांति शहर से गाँव में जो है आयी,
देश में जन जन का भाग्य विधाता कहलाये।
स्वयं की पहचान बने परिवर्तन जड़ से चेतन,
कुपोषण गरीबी लांघ कर पाये रोटी का वेतन,
अंतरिक्षयात्री बना खोजे ब्रह्मांड के अनेक रहस्य,
गौरव यश कीर्तिमान का धरा पर लहराये केतन।
साक्षरता देश में बचपन से सभी का सपना है,
अक्षर से शुरू होकर रोजगार तक का विकास अपना है,
सभ्यता का परिचायक, मूल्यों का वृहद आधार,
गुरू-शिक्षकों के ज्ञान द्वारा अज्ञानता रंगना है।
संस्कृति धरोहर संभाल, इतिहास को चमकाये,
चिकित्सा पद्धतियों में नित नवीन प्रगति दर्शाये,
विज्ञान, पुराणों ,वेदों से कर्तव्य का बोध करा,
विषम परिस्थितियों में भी जीवन व्यापन सिखाए।