सादगी
सादगी
इंसान की सोच ही उसके चरित्र के सारे पहलुओं को बयान करती है । इसलिए सोच सदा सादगी भरी होनी चाहिए । भौतिक जगत की चमक धमक हमारे आस पास के माहौल में हमें क्षणिक सुख तो प्रदान कर सकती है, पर मन की शांति तो आध्यात्मिकता से पूर्ण और सादगी भरे सामाजिक भावों से ही मिलती है । इतिहास के स्वर्ण पन्नों में भी उन्ही लोगो को स्थान मिलता है जो सादगी से भरा त्यागपूर्ण जीवन यापन करते हुए समाज और देश के कल्याण में जुटे रहते हैं । इन्ही भावो के काव्य रूप देने की एक छोटी सी कोशिश है मेरी नई प्रस्तुति “सादगी”………….
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मन का खुशनुमा भाव है सादगी,
विचारों का दिलकश रूप है सादगी,
इंसानियत का अलंकार है सादगी,
जिंदगी की सुहानी महक है सादगी ।
कपड़ों से निखर सकता है रूप,
पर नहीं मिल सकता सम्मान ।
बातें होती जिन लोगों की खास,
उनकी सादगी ही होती पहचान ।
प्रजा का राजा वही कहलाए,
जो करता प्रजा का सम्मान ।
बातों में रहती सादगी सदा,
नहीं करता रंक का अपमान ।
न देखी रिश्तों की ऐसी सादगी,
जैसा कृष्ण का दोस्ती का भाव ।
उठकर आ गए सिंहासन से खुद,
किया सुदामा से मित्र का बरताव ।
सादगी वही नहीं जो गरीबी में दिखे,
गरीबों की सादगी हो सकती है एक मजबूरी,
सादगी वह भी है जो अमीरी में भी रहे,
अमीरों में सादगी है एक बहादुरी ।
सादा जीवन, उच्च विचार,
यही तो है सादगी का मूलमंत्र ।
राजा का सही हो जब बरताव,
होता खुशहाल उसका प्रजातंत्र ।
गौतम बुद्ध की सादगी देखी,
भगवान महावीर का उच्च मन ।
मां सीता ने त्यागी अयोध्या,
श्रीराम के संग चली गई वन ।
द्रौपदी का हो रहा था चीरहरण,
देखी प्रभु कृष्ण की सादगी ।
आ गए बहन की लाज बचाने,
देख रहा दरबार प्रभु की बानगी ।
ब्रह्माकुमारियों की सादगी देखी,
माथे पर दिखता सादगी का ओज ।
बिताती बड़ा ही संतुलित जीवन,
जिंदगी का लिया सही मार्ग खोज ।
सनातन धर्म का आधार सादगी,
विश्व को देता भाईचारे का ज्ञान ।
विश्वगुरु की राह पर बढ़ता भारत,
विश्व में इसकी सादगी का मान ।
सादा जीवन, उच्च विचार,
यही धर्म अपनाओ हरदम ।
सही मार्ग पर चलो सदा,
मिलेंगे हर ओर चारो धाम ।
न हो पैसों का गुमान, हो सादगी,
न हो अमीरी का घमंड, हो सादगी,
न हो कपड़ो का अहम, हो सादगी,
न हो गरीबी से चिढ़, हो सादगी ।
