रूबरू
रूबरू
नेक सूरत नेक है सीरत तेरी नेक है खु
एक तू ही था मेरी फ़िक्र मेरी आबरू।
आज दामन मेरा ख़ुशी से भर दिया
दिल बड़ा है तेरा यार सच्चा है तू।
ग़म कभी तो ख़ुशी ख़रीद लाते आँसु
इन ख़ुशी का हिस्सा बनूँ या ना बनूँ।
हद से गुज़रने को दिल आज करता है क्यूँ
है तेरी आरजू मुझे तेरी ज़ुस्तज़ु।
अब ऐसा ना हो तुझसे बिछड़ जाऊँ मै
रब मेरी आज क़िस्मत में लिख दे कुबकू।
तुझे पाने की चाहत थी दिल में कभी
हो ऐसा हमसफ़र मिले सूरत हुबहू।
रूह,जिस्म,जान बस ज़िन्दगी का मेला
गुफ़्तगू कर लेना इनसे "नीतू" रूबरू।
गिरह
चाँद कहना मेरा उसे गवारा नहीं
आईना कर रहा है तिरी गुफ़्तगू।