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Praveen Gola

Others

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ऋतुराज

ऋतुराज

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खिले तन,

हर्षित हुआ मन,

जब बसंत ऋतु का,

हुआ आगमान।


पीले वस्त्र,

पीले पकवान,

हुआ पीला,

सारा हिन्दुस्तान।


धूपदीप और कुमकुम लाल,

सजा आरती का थाल,

माँ सरस्वती को पूजकर,

सब हुए खुशहाल।


चारों ओर स्वर वंदना,

घुँगरुओं की छनछना,

करे मन मतवाल,

जब नाचे गोपाल बाल।


सर्दी हुई बेहाल,

भागे हो शर्म से लाल,

हुआ ऋतुराज का आगमन,

अब लगेगा सबके गुलाल।।


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