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Neetu Lahoty

Others

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Neetu Lahoty

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रोया बहुत

रोया बहुत

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मैं जला भी बहुत ,खुद से लड़ा भी बहुत 

तेरे हर जिक्र पर खुद को बेफिक्र किया भी बहुत


न आजमाइशें हुईं न अब फरमाइशें हुईं 

आदतन मैं खुद ही से उलझा बहुत


रह रह कर निगाह उसके कूचे पर उठती रही

बेमकसद ही उस चौराहे तक मैं गया बहुत


ख्वाब देखना मुझे कभी रास आया नहीं

हकीकतों के आगे पर मैं टूटा बहुत


कलाकारी भी भरपूर बख्शी खु़दाया तूने

आँखों से आँसू का एक कतरा तक न बहने दिया मैंने

ये बात अलग है अकेले में रोया बहुत।



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