रंगरेज
रंगरेज
ढूंढो उस रंगरेज़ को जिसने
रंग डाला सारा-सब वासंती।
मुझसे मिलने आना तो तुम भी
रंग लाना अपना मन वासंती।
किस चितेरे का है यह जोर।
फैली पीली-पीली सरसों चहुँओर।
पहने धरा ने वसन वासन्ती।
वसन्त सूर्य करे दिगन्त वासन्ती।
ढूंढो उस रंगरेज़ को जिसने
रंग डाला सारा-सब वासंती।
मुझसे मिलने आना तो तुम भी
रंग लाना अपना मन वासंती।
बौराए पीले अमलतास वो देखो,
और गेंदे भी हैं कितने फूले।
और डालियों से देखो उधर वह,
पीत पुष्प कनेर के कैसे झूले।
ढूंढो उस रंगरेज़ को जिसने
रंग डाला सारा-सब वासंती।
मुझसे मिलने आना तो तुम भी
रंग लाना अपना मन वासंती।
ले वासंती पराग वासंती फूलों
का, उड़ती पीतवर्णी तितली।
प्रकृति ने अपनी छटा बिखेरी,
कितनी मनभावन, प्यारी कितनी।
ढूंढो उस रंगरेज़ को जिसने
रंग डाला सारा-सब वासंती।
मुझसे मिलने आना तो तुम भी
रंग लाना अपना मन वासंती।