रंग बरसे
रंग बरसे
रंगों में डूबा है नादां मन ,चलाए अँखियों ही अँखियों से
प्रेम की सतरंगी फुहार मचाए होली का हुड़दंग।
बचपन में खेली थी होली खुशियों से भर गई झोली
कर गई तन - मन को गीला था रंग वह सुनहरा पीला ।
याद मुझ को भी आज ये रंग।।
फिर मस्त यौवन था मुस्काया लाल रंग ने रंग दिखाया
मैं से हम किया ऋद्धि - सिद्धि ने दिया ' पिया' का सिंदूरी संग।
रति -कामदेव -सी बजी चंग ।।
बस गया नव संसार मेरा खिला दिया था जीवन वसंत रंग हरा - हरा
तब बरसा सब कुछ जीवन में था नया खुशियों ने बदले रंग - ढंग। ।
रंग नीला जब मुझ पर बरसा ईश कृपा तब समझ में आई
रूह में मेरी बंशी बजी अनहद की आवाज सुनी ईश गहराई से दिल दंग। ।
प्रभु का रंग कभी न उतरे मीरा दीवानी बन जाऊँ
बही फाग की केसरी धार करूँ प्रेम रंग की बौछार चढ़ी पिया !
है तेरी तरंग। ।
होए ईश से एकाकार जगी चेतना में प्रभु उमंग
मंजिल ' मंजू ' होली बन के बज उठे अंतस में मृदंग।।